कविता……..बहुत हुआ………

बहुत हुआ तेरे आगे गिड़गिडा़ना यू
प्यार की खातिर तेरा कुछ भी बोल जाना यू
शब्दों का तेरे तीर सा भेद जाना यू
ना कुछ कहे ही
तेरा मुझसे बहुत दूर चले जाना यू
अब नहीं अब और नहीं
हुआ बहुत तेरा मुझपर
हक़ जताना यू
दुहाईयाँ कई देकर
हर पल मुझे अपनी ही
नज़रों में गिरा जाना यू
बहुत हुआ तेरे आगे गिड़गिडा़ना यू
खुद के स्वाभिमान को कुचलकर
तेरा अभिमान बचाना यू
मेरे हर टूटे सपने पर
तेरा आडम्बर दिखाना यू
बहुत हुआ तेरा मुझे
अपमानित कर जाना यू
बहुत हुआ तेरा मुझपर गिड़गिडा़ना यू